मेडिकल कालेज का नाम हो सकता है शहीद चनशेखर आज़ाद के नाम


 *रतलाम में "शहीद चन्द्रशेखर" आजाद "मेडिकल कालेज"!* 
 रतलाम। राजनीति से जुड़े छोटे कार्यकर्ता का अनुरोध प्रदेश के मुख्यमंञी ने स्वीकार करते हुए उस पर अमल शुरु किया है। चिकित्सा शिक्षा मंञालय से फाईल दौड़ कर रतलाम पहुच रही है और अब गेंद रतलामी नेताओं और अफसरों के पाले में है और अगर इन्होने सुस्ती की बजाय चुस्ती दिखाई तो रतलाम का मेडिकल कालेज मालवा माटी के लाल शहीद चन्द्रशेखर आजाद के नाम से पहचाना जाएगा। 
दरअसल रतलाम शहर के वार्ड नम्बर 49 के पूर्व पार्षद चन्द्रप्रकाश पुरोहित उर्फ चंदू ने विगत 19-11-2019 को अपने लेटरहेड पर हाथ से लिखा एक पञ मुख्यमंञी कमलनाथ को दिया था। इस पञ में पुरोहित ने सीएम को अवगत कराया था कि मालवा माटी के लाल और शहीद चन्द्रशेखर आजाद के नाम से मालवा क्षेत्र में किसी बड़े शासकीय संस्थान का नामकरण नही है। आजाद का रतलाम- झाबुआ बेल्ट से भी नाता रहा है, ऐसे में रतलाम के मेडिकल कालेज का नाम शहीद आजाद के नाम पर रखा जाए। 
यह पञ 8-12-2019 को मुख्यमंञी कार्यालय से निकला जिसमे सीएम हाऊस के उप सचिव डाँ. इलैयाराय टी ने चिकित्सा शिक्षा विभाग की तरफ बढाते हुए कार्रवाई के लिए लिखा है। 
इसी पञ को चिकित्सा शिक्षा विभाग की अवर सचिव शर्मिला ठाकुर ने संचालक चिकित्सा शिक्षा विभाग की और अग्रेषित किया और यहां से इसी पञ को रतलाम कलेक्टर और मेडिकल कालेज के डीन को भेजा है। 
इसके बाद की प्रक्रिया आसान है और कुछ जरुरी खानापूर्ति के साथ जिला योजना समिति की बैठक में अनुमोदन वगैरह कराते हुए शासन को भेजा जाए तो मेडिकल कालेज का नाम शहीद आजाद के नाम पर हो सकता है। 
इधर छोटे कार्यकर्ता और पूर्व पार्षद की यह अनूठी पहल को साकार करने में रतलामी नेताओं खासकर कांग्रेस नेताओं का सहयोग जरुरी माना जाएगा वरना और वर्चस्व और मेरी साड़ी से तेरी कमीज सफेद कैसे के चक्कर में आपस में ही लड़- लड़ कर मरते रहे तो कालेज पर शहीद श्री आजाद के नाम नही हो पाएगा। 
पूर्व पार्षद की पहल वाकिय तारिफे काबिल है और इसे एक जुटता के साथ मंजिल तक पहुंचाया जा सकता है। मुख्यमंञी कार्यालय से चलकर चिकित्सा शिक्षा मंञालय से होते हुए रतलाम जिला और मेडिकल कालेज प्रशासन तक इनके पञ का पहुंचना ये भी दर्शाता है कि प्रदेश के मुखिया के दरबार में खुले आँख, कान से सुनवाई हो रही है।
 *अलीराजपुर में बीता था आजाद का बचपन* 
चन्द्रशेखर आजाद का जन्म भाबरा गाँव (अब चन्द्रशेखर आजादनगर) (वर्तमान अलीराजपुर जिला) में २३ जुलाई सन् १९०६ को हुआ। आजाद के पिता पण्डित सीताराम तिवारी संवत् १८५६ में अकाल के समय अपने पैतृक निवास बदरका को छोड़कर  कुछ दिनों मध्य प्रदेश की अलीराजपुर रियासत में नौकरी करते रहे फिर जाकर भाबरा गाँव में बस गये। 
यहीं बालक चन्द्रशेखर का बचपन बीता। उनकी माँ का नाम जगरानी देवी था। आजाद का प्रारम्भिक जीवन आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में स्थित भाबरा गाँव में बीता और बचपन में आजाद ने आदिवासी बालकों के साथ खूब धनुष बाण चलाये। इस प्रकार उन्होंने निशानेबाजी बचपन में ही सीख ली थी। बालक चन्द्रशेखर आज़ाद का मन जब देश को आज़ाद कराने के अहिंसात्मक उपायों से हटकर सशस्त्र क्रान्ति की ओर मुड़ गया और आगे चल कर वे देश के लिए शहीद हो गए।